किसानों को अब बाजार से सस्ती दरों पर नई तकनीक के कृषि उपकरण किराए पर मिलेंगे। इसके लिए सरकार ब्लॉक स्तर पर कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना कर रही है। उपकरणों के महंगे होने तथा लघु व सीमांत किसानों की सीमित आय होने के चलते सरकार ने ये निर्णय किया है। इससे गांव-ढाणियों के किसान कृषि उपकरणों से सहज ही उन्नत खेती कर सकेंगे। प्रदेश भर में करीब ७४० कस्टम सेन्टर्स की स्थापना होगी।
किसानों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा
बड़े किसानों के पास तो अपने खुद के कृषि उपकरण हैं। लेकिन छोटे किसान कम जमीन के कारण टै्रक्टर सहित अन्य उपकरण खरीद नहीं पाते हैं। बारिश के सीजन में खेतों की एक साथ जुताई होती है। एेसी स्थिति में छोटे किसानों के खेतों की बुवाई सबसे बाद में होती है। समय पर बुवाई नहीं होने से फसल उत्पादन पर इसका खासा असर पड़ता है। कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना होने से छोटे किसानों की समय पर बुवाई हो सकेगी। बुवाई के साथ कटाई व अनाज भी मशीनरी से आसानी से निकाल सकेंगे।
४ लाख रुपए का मिलेगा अनुदान
कस्टम हायरिंग केन्द्र की स्थापना के लिए १० लाख, २५, ४० व ६० लाख रुपए की अलग अलग योजना है। १० लाख रुपए का कस्टम हायरिंग केन्द्र की स्थापना करने वाले किसान को ४ लाख रुपए का अनुदान सरकार की ओर से दिया जाएगा। कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना के लिए ४० प्रतिशत अनुदान देय है। कृषि उपकरणों की दर पांच लोगों की एक कमेटी तय करेगी।
किसानों को फायदा मिलेगा
कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना से लघु व सीमांत किसानों को इसका विशेष फायदा मिलेगा।
सेन्टर के लिये अनिवार्य यंत्र
इस योजना से लाभान्वित होकर किसान अब उन्नत एवं कीमती यंत्रों को कम करने में भी रूचि ले रहे हैं। वर्तमान में कृषि कार्य के लिये प्रत्येक केन्द्र में एक ट्रैक्टर (35 बीएचपी से 55 बीएचपी तक) एक प्लाऊ, एक रोटावेटर, एक कल्टीवेटर या डिस्क हेरो, एक सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल, एक ट्रैक्टर चलित थ्रेशर या स्ट्रा रीपर एवं एक रेज्ड बेड प्लांटर या राईस ट्रांसप्लांटर यंत्र को क्रय करना अनिवार्य किया गया है।