जैतून के उत्पादन के लिए जशपुर की जलवायु उपयुक्त मिली है। इसका उत्पादन ठंडे क्षेत्रों में किया जाता है। जैतून के पौधे को सर्दी में 300 घंटे तक 10 डिग्री से कम तापमान की जरूरत होती है और सर्दी के दिनों में जशपुर, मनोरा और बगीचा क्षेत्र का न्यूनतम तापमान महीनों तक 10 डिग्री से कम रहता है।
यही वजह है कि इस बार जैतून की खेती का नया प्रयोग जिले में शुरू किया गया है। अगर इसका उत्पादन सही तरीके होता है तो इसकी खेती करने वाले किसानों की कमाई चार गुना से भी अधिक बढ़ जाएगी। जैतून के फल व पत्तियों के अलावा इसके तने तक बिकाउ हैं। यही नहीं ऑलिव ऑयल का व्यापार करने वाली कई कंपनियों जैतून का फल हाथों हाथ खरीदती है। भागदौड़ भरी दिनचर्या में जैतून के तेल से मिलने वाली राहत को देखते हुए इसकी डिमांड मार्केट में काफी ज्यादा है। कई कड़ी ब्रांडेड कंपनियां ऑलिव ऑयल का प्रोडक्शन कर रही है। यदि जशपुर जिले के किसान ऑलिव ऑयल के बिजनेस का हिस्सा कच्चा माल उत्पादक के रूप में बन जाते हैं तो यह उनकी किस्मत खुलने जैसी बात होगी। उद्यान विभाग ने इसकी पहल शुरू करते हुए जिले भर में 10 हजार पौधों का वितरण किसानों को किया है। बड़ी बात है कि जैतून के उत्पादन में किसानों के साथ जनप्रतिनिधियों ने भी रूचि दिखाई है। जशपुर जिले के डीडीसी कृपाशंकर भगत ने 2 एकड़, महिला आयोग की सदस्य रायमुनी भगत ने 1 एकड़ जमीन पर जैतून के पौधे लगाए हैं। विभागीय जानकारी के मुताबिक कुनकुरी, जशपुर, मनोरा और बगीचा विकासखंड के किसानों को जैतून उत्पादन के लिए तैयार किया गया है।