सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है। किसानों को कर्ज से छुटकारा दिलाने के लिए कैबिनेट ने कर्ज निपटारा एक्ट 2016 में दो महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं।
किसानों को प्रति एकड़ कितना कर्ज दिया जाए अब सरकार तय करेगी। किसानों को अंधाधुंध कर्ज देने वाले आढ़ती व गैर संस्थागत वित्तीय संस्थानों पर सरकार अब नकेल डालेगी।
सरकार अब प्रति एकड़ कर्ज की सीमा तय करेगी। यदि इस सीमा से ज्यादा किसी ने भी कर्ज दिया तो उसकी रिकवरी के लिए किसानों पर दबाव नहीं बनाया जा सकेगा। यह एक्ट केवल गैर वित्तीय संस्थानों और आढ़तियों पर ही लागू होगा। बैंक भी अतिरिक्त कर्ज देते हैं, लेकिन उन लागू नहीं होगा।
आढ़तियों और गैर वित्तीय संस्थानों द्वारा किसानों की कर्ज अदायगी की क्षमता को देखे बिना उन्हें जमीनों पर कर्ज दिया जा रहा है। कोऑपरेटिव विभाग ने पहले ही एक पत्र स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी में दिया हुआ है, जिसमें प्रति फसल प्रति एकड़ कितना कर्ज दिया जा सकता है, यह दर निश्चित की हुई है।
इसके बावजूद बैंक ज्यादा कर्ज दे देते हैं। इस बिल के कानून बनने के बाद लाइसेंसी आढ़ती, साहूकार ही किसानों को कर्ज दे सकेंगे। यही कर्ज कर्ज निपटारा फोरम में आ सकेगा। जिन आढ़तियों के पास कर्ज देने संबंधी लाइसेंस नहीं होगा उनके द्वारा पैसे का लेनदेन अवैध माना जाएगा।
पंजाब में एक करोड़ एकड़ जमीन है और औसतन प्रति फसल व प्रति एकड़ 21 हजार रुपये कर्ज मिल सकता है।
इस तरह से किसानों पर 21 से 25 हजार करोड़ रुपये कर्ज होना चाहिए लेकिन 31 मार्च 2017 का आंकड़ा लें तो कम समय का यह कर्ज किसानों पर 59 हजार करोड़ है। इसके अलावा ट्रैक्टर या अन्य सामान खरीदने के लिए दिया जाने वाला लंबे समय का कर्ज 14 हजार करोड़ रुपए है।