सोयाबीन की फसल पर जिलेभर में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पहले तना मक्खी और पीला मौजेक से फसलों को नुकसान हुआ था, इसके बाद अब बारिश फसलों के लिए मुसीबत साबित हो रही है। इसका कारण यह है कि अधिकांश क्षेत्र में फसलें पकने की स्थिति में पहुंच चुकी हैं। सोयाबीन पीली भी पड़ गई है। ऐसे में यदि खेतों में पानी भरा तो सोयाबीन सड़ जाएगी। शुक्रवार रात के समय सीहोर, इछावर और बुदनी क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई। किसानों का कहना है कि इस साल फसल बहुत अच्छी थी, लेकिन अब बारिश उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रही है। मौसम विज्ञानी अभी कुछ दिन और ऐसी ही स्थिति बनी रहने की बात कह रहे हैं। जिले में कुल 3.68 लाख हेक्टेयर में से 2.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी हुई थी। इसके साथ ही 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द बोई गई थी। हर साल की अपेक्षा इस साल फसल अच्छी थी। लेकिन पूरे अगस्त महीने में तेज बारिश नहीं होने और बादल छाए रहने से फसलों पर तना मक्खी और पीला मौजेक आ असर दिखाई दिया था।
तना मक्खी से सोयाबीन और उड़द को नुकसान
जिले में तना मक्खी से फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ था। सीहोर, इछावर, नसरुल्लागंज और रेहटी क्षेत्र करीब 25 गांवों की सोयाबीन में इस कीट से ज्यादा नुकसान है। इसके साथ ही उड़द फसल में भी नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के उपसंचालक अवनीश चतुर्वेदी के अनुसार जिन किसानों ने सोयाबीन की अरबी वैरायटी या सोयाबीन की 9560 वैरायटी बोयी थी उन फसलों को ज्यादा नुकसान है।