चुनावी वर्ष में किसानों को संतुष्ट करने के लिए रमन सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाकर आनन-फानन में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया। मंशा स्पष्ट की कि किसानों को धान मूल्य के साथ बोनस देने के लिए अनुपूरक बजट होगा। सरकार ने दावा किया कि किसानों को उनकी मांग के अनुरूप 21 सौ रुपये प्रति क्विंटल धान मूल्य व बोनस सरकार देने जा रही, लेकिन यह दांव भी कारगर होता नहीं दिखा रहा। किसान संगठन खुश होने के बजाए नाराज हो गए हैं। इससे पहले शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद शिक्षकों के एक खेमे व अन्य कर्मचारी संगठनों की मांगों के दबाव से जूझ रही सरकार को अब किसानों की मानमनौव्वल की भी नई तरकीब खोजनी होगी।
किसान संगठनों का कहना है कि चुनाव के दौरान बोनस देकर सरकार किसानों को फिर छलने जा रही है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के संयोजक राजकुमार गुप्त ने कहा, ‘हमने धान का 21 सौ रुपये क्विंटल मूल्य नहीं मांगा था। सरकार ने अपने पिछले चुनावी घोषणा पत्र में खुद ही धान का दाम 21 सौ रुपये देने और प्रति वर्ष तीन सौ रुपये बोनस देने का वादा किया था। यह वादा पूरा नहीं किया। जब चुनाव नजदीक आ गए तो दो साल का बोनस थमा दिया। अब इस साल की धान खरीद में समर्थन मूल्य के साथ बोनस देने की तैयारी की जा रही है।’