इस मानसून सीजन में हो रही अच्छी बारिश से फसलें भी अच्छी दिखाई दे रही हैं लेकिन अब इन पर बड़े पैमाने पर कीट प्रकोप सामने आने लगा है। किसानों ने इसकी शिकायत संबंधित विभाग में की तो गुरुवार को हकीकत देखने कृषि अधिकारी और वैज्ञानिक 15 गांवों में पहुंचे। इन गांवों में उन्हें सोयाबीन की फसल पर तना मक्खी कीट का प्रकोप दिखाई दिया। इस तरह से इस कीट का अन्य गांवों में भी प्रकोप हो सकता है। यदि समय पर इस पर नियंत्रण नहीं हुआ तो फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।
कई किसानों ने कृषि विभाग आत्मा और कृषि विज्ञान केंद्र में सूचना दी थी कि उनकी सोयाबीन की पौध पर किसी कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। किसानों का कहना है कि शुरू में सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ रहे हैं। इसके बाद पौधे सूखने लग रहे हैं। यह तेजी से फैल रहा है और इस तरह से काफी नुकसान हो रहा है। इस सूचना के बाद गुरुवार को अधिकारियों और वैज्ञानिकों का अमला 15 गांवों में पहुंचा और उन किसानों के खेतों में जाकर देखा।
तना मक्खी पौधे के तने के अंदर देती है अंडे, इससे निकली इल्ली चट करती है पौधे : कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक जेके कन्नौजिया ने बताया कि तना मक्खी सोयाबीन के पौधे के तने के अंदर अंडा रखती है। 5 से 7 दिन में यह इल्ली में बदल जाती है। यह इल्ली पौधे के तने को खाने लगती है और उसकी ग्रोथ रुक जाती है। इसके बाद पौधा पीला पड़ने लगता है और उसके पत्ते भी पीले पड़ जाते हैं। इस तरह से पौधे को यह सुखा देती है।
ग्राउंड रिपोर्ट
नसरुल्लागंज: खेतों में फसलें सूखीं, पत्ती पीली पड़ रही
नसरुल्लागंज के झिरनिया, छापरी, पलासी, गूलरपुरा, भादाकुई, छिदगांव, हालियाखेड़ी, श्यामपुर और निमोटा आत्मा परियोजना के सहायक संचालक आरके जाट और कृषि विज्ञान केंद्र के जेके कन्नौजिया सहित अन्य कृषि विशेषज्ञ पहुंचे। झिरनिया गांव में राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष महेश भारी ने अमले को बताया कि सोयाबीन फसल सूखने लगी है। किसानों को यह समझ नहीं आ रहा है कि यह किस कारण हो रहा है। इसी तरह झिरनिया गांव में रेवाराम जाट, शिवराम पटेल, अनिल लाठी, पलासी के बलराम तुमराम, गोपाल मीणा ने बताया कि उनके खेतों की फसल को भी नुकसान हो रहा है। कई खेतों में फसलें या तो सूख गईं या पीली पड़ने लगी हैं। अमले ने देखा और समझाइश दी।
इछावर और सीहोर ब्लॉक के गांवों में भी रोग का असर
इछावर और सीहोर के कई गांवों में भी फसल पर कीट प्रकोप है। भोजनगर, उलझावन, पड़ली, जमनी, लसूड़लिया परिहार, बिजलोन गांवों में कई किसानों की फसलों पर इस बीमारी का असर देखा गया। पड़ली के चंदन सिंह मेवाड़ा ने अमले को बताया कि फसलों को नुकसान हो रहा है। राधेश्याम मेवाड़ा ने बताया कि इस रोग की समझ नहीं होने के कारण वह दवा का छिड़काव भी नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें लग रहा था कि यदि गलत दवा का छिड़काव कर दिया तो फसलों को कहीं अधिक नुकसान न हो जाए। वैज्ञानिक और विशेषज्ञों ने तना मक्खी कीट के प्रकोप होने की बात कही। इस संबंध में श्री जाट ने बताया कि फसलों में अभी रोग लगना शुरु हुआ है। किसान शीघ्र ही कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर इसे कंट्रोल कर सकते हैं। साथ ही उचित दवा का छिड़काव करें।