Oct 02, 2018
श्योपुर
इस बार खरीफ की फसलों के पंजीयन कराने के प्रति किसानों में दिलचस्पी घट गई है। क्योंकि अभी तक जिलेभर में संचालित 37 समितियों पर करीब 5 हजार किसानों ने ही अपने पंजीयन कराए हैं। कई किसानों की फसलें बारिश के कारण बेकार हो गई हैं इसलिए वह अपना पंजीयन नहीं कराना चाहते इधर जो किसान अपना पंजीयन कराना भी चाहते हैं वे समितियों पर गड़बड़ाते ऑनलाइन सिस्टम से परेशान है।
कहीं सिस्टम हैंग हो रहा है तो कहीं विभागीय पोर्टल नहीं खुल रहा है। इस कारण जो किसान पंजीयन कराना चाहते हैं वे भी परेशान होकर लौटने पर मजबूर है। इधर पंजीयन करने वालों की संख्या कम होने के कारण विभाग को भी पंजीयन करने की तारीखें बढ़ानी पड़ रही हैं। पहले जो 20 सितंबर तय थी वह बाद में 30 सितंबर कर दी गई है। लेकिन फिर से इसे बढ़ाकर 10 अक्टूबर कर दिया गया है।
समितियों पर रोजाना गिने चुने पंजीयन हो रहे हैं। श्योपुर मार्केटिंग समिति पर अभी तक करीब 800 पंजीयन हो पाए है। जहां पिछले तीन दिनों में करीब 4 पांच 5 किसान ही पंजीयन कराने पहुंचे। जबकि रबी की फसल के लिए करीब 14 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर फसलें बेचने के लिए पंजीयन कराया था। लेकिन खरीफ की फसलों के लिए पंजीयन बहुत कम हो सके हैं।
इस बार बारिश ने कई जगहों पर किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया है। इस कारण उन्हें मूंग,उड़द, तिल्ली की फसलों को जोतना पड़ गया है। सोईकला, बड़ौदा और श्योपुर क्षेत्र से सटे गांवों में सोयाबीन की फसलें पानी से बेकार हो गई है। इस कारण किसानों को फिर से खेत तैयार करने पड़ रहे हैं।
यही कारण है कि पिछले सीजन की अपेक्षा खरीफ की फसलों के प्रति किसानों की दिलचस्पी घट गई है। पहले से ही इस बार मूंग और उड़द का रकबा घटा हुआ था। करीब 08 हजार हेक्टेयर में मूंग उड़द बोई गई थी लेकिन बारिश ने किसानों की फसलों को बेकार कर दिया है। किस जगह कितना नुकसान हुआ है यह जानने के लिए जल्द प्रशासन सर्वे कराएगा।