सरकंडा के उद्यानिकी विभाग कैंपस लगी पांच करोड़ की मशीन खराब पड़ी है। इसे बीज के बदले पौधे उपलब्ध कराने की मंशा से लगाई गई है। मंशा यह भी कि 75 पैसे में सब्जियों व फलदार पौधे दिए जा सके, ताकि किसानों को इसका लाभ हो। इसके विपरीत ना तो किसान इसके प्रति रुचि दिखा रहे और ना ही अफसर से सुधरवाने में ध्यान दे रहे हैं। इसी का नतीजा है कि यह जस का तस पड़ा है। उल्टे इसके आसपास सामान डंप कर दिए गए हैं। इसके चलते पूरी योजना पर पलीता लग गया है।
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक केके मिश्रा का कहना है कि उन्हें खुद ही पता नहीं पता है कि इसमें क्या खराबी आई है। इसे बंद हुए एक सप्ताह हो गए। रायपुर के इंजीनियरों से संपर्क किया गया है। वे दिल्ली के इंजीनयर आने की बात कहते हैं। तब इसे दोबारा शुरू करने की बात कही जा रही है। तीन साल पहले शहर में जिस वेजिटेबल सीडलिंग प्रोडक्शन यूनिट की स्थापना 75 पैसे में सब्जियों व फलदार पौधा देने के लिए की गई थी, फिलहाल यह योजना ही बंद पड़ी है। इसे हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे सब्जी व फल-फूल उत्पादक राज्यों की तर्ज पर उद्यानिकी विभाग ने बिलासपुर के सरकंडा में दो साल पहले 5.86 करोड़ की लागत से बिग प्लग टाइप वेजीटेबल सीडलिंग प्रोडक्शन यूनिट लगाई। इसके अलावा यहां पौधे तैयार करने की तकनीक वैज्ञानिक है पर कोई एक्सपर्ट नहीं है। यह गैर प्रशिक्षित मजदूर व मालियों के भरोसे चलाया जाा रहा है। कर्मचारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि यहां काफी असुविधाएं हैं। इसकी शिकायत भी हुई है, पर अभी किसी ने इसकी ओर ध्यान नहीं दिया है। इसके चलते ही योजना फेल हो गई है।
इसके चलते ही सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हो गई फेल, कृषकों का रुझान भी घट रहा
पहले की तस्वीर। तब यहां इस तरह पौधे लगाए थे।
तब यह किया गया था दावा
1 करोड़ सालाना पौधा तैयार होगा सिडलिंग यूनिट में। 20फीसदी उत्पादन में वृद्धि होगी बिलासपुर संभाग में। 10लाख पौधे की नर्सरी हर माह सरकंडा यूनिट में तैयार की जाएगी। 15लाख, 96 हजार 389 मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होगा। 40-50 प्रतिशत कमी आएगी बीजों की कीमत में । 01लाख, 37 हजार, 287 हेक्टेयर में संभाग में सब्जी की खेती होगी। फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं हो सका है। खुद अधिकारी इससे संबंधित इंजीनियर और दूसरे अफसरों के कामकाज से रैवेये से परेशान हैं। आरोप यह भी लग रहे हैं कि इसे मात्र कमीशनखोरी के लिए खरीदा गया है।
मशीन खराब है, हमें समझ नहीं आ रहा है इसमें क्या फाल्ट आया है
उद्यानिकी विभाग में पौधे उपलब्ध कराने वाली मशीन एक सप्ताह से खराब है। दिल्ली से इंजीनियर आएंगे तब यह बनेगा। हमें खुद समझ नहीं आ रहा है कि इसमें क्या फाल्ट है। खर्च का कोई स्टीमेट तैयार नहीं किया गया है। जब यह बनेगा तभी समझ आएगा कि कितना पैसा लगेगा। – केके मिश्रा, उपसंचालक, उद्यानिकी विभाग, बिलासपुर
इसलिए सामने आ रही है परेशानी, कानून नहीं बना
देश के 8 राज्यों में नर्सरी एक्ट है, जबकि सात अन्य राज्यों में इसकी मॉनिटरिंग और रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध है। जिन राज्यों में एक्ट बना हुआ है, उनमें पंजाब, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, ओड़िशा और तमिलनाडु। छत्तीसगढ़ में फिलहाल इस पर काम नहीं हुआ है। इसलिए ही किसानों को तकलीफ झेलनी पड़ रही है। मॉनिटरिंग के अभाव में दिक्कत बनी है।