कोपरा नवापारा| Oct 08, 2018
खरीफ फसल लिए किसानों के सामने इन दिनों भूरा माहो की आफत आ गई है। कीटनाशक छिड़काव के बाद भी कीट प्रकोप कम नहीं होने से क्षेत्र के किसान काफी परेशान हैं। भूरा माहो के प्रकोप से फसल को बचाने के चक्कर में अत्यधिक कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के कारण फसल की लागत काफी बढ़ गई है। अनेक जगह तो धान निकलने के पहले ही भूरा माहो से फसल पूरी तरह चौपट हो गई है, जिससे किसान सकते में आ गए हैं।
क्षेत्र के दुवेंद्र सिंह, हरिराम, तुला राम विश्वकर्मा, नंदकुमार साहू, चंदू साहू, भुखन साहू, पवन, खिलेंद्र साहू, लोचन साहू आदि किसानों ने बताया कि पिछले साल की तरह इस बार भी खरीफ फसल पर अनेक कीट प्रकोप सहित भूरा माहो का प्रकोप फसल से अनेक बार दवाई छिड़काव के बाद भी बीमारी कटने का नाम नहीं ले रहा है। सिर्फ भूरा माहो के लिए ही दो से तीन बार दवाई दो दिन अंतराल में डाला जा रहा है। फिर भी ताकतवर हो चुके भूरा माहो फसल से हट नहीं रहा है। इतने बार दवाई छिड़काव के बाद किसानों की खरीफ फसल की लागत काफी बढ़ गई है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
लगातार धान फसल बोने से बढ़ता है कीट प्रकोप: कृषि विकास अधिकारी केपी साहू ने बताया कि किसान लगातार धान की ही फसल ले रहे हैं। इसके कारण खेत की जमीन पूरी तरह सूख नहीं पाती है, जिससे भूरा माहो व अन्य रोग के अंडे नष्ट नहीं हो पाते हैं। वहीं अंडों के कारण फिर से फसल लगने पर कीट प्रकोप शुरू हो जाता है। बीमा के संबंध में बताया कि बीमा कंपनी द्वारा सिर्फ प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूस्खलन जैसे में बीमा राशि दी जाती है।
कोपरा नवापारा. भूरा माहो के चपेट में क्षेत्र की खरीफ फसल।
फसल मुआवजा से लागत निकलना मुश्किल
किसानों ने बताया कि सोसायटी द्वारा फसल बीमा के लिए प्रति हेक्टेयर 950 रुपए काटा गया है पर फसल बीमा के लिए कंपनी से संपर्क करने पर 30-35 किसानों का फसल क्षति होने पर ही फसल बीमा मिल पाने की बात कही गई। राजस्व विभाग ने फसल मुआवजा के लिए पटवारी द्वारा बीमारी से क्षतिग्रस्त फसल का पंचनामा तैयार कर लिया है। लेकिन किसानों का कहना है कि जो राजस्व विभाग द्वारा मुआवजा दिया जाता है, उससे हमारी लागत भी नहीं मिल पाएगी। यदि बीमा कंपनी बीमा देती है तो ही फसल की लागत कुछ हासिल हो पाएगी। वही सोसायटी द्वारा पंचनामा करने की बात कही गई है, लेकिन अब तक कोई नहीं आया है।