बैकुंठपुर Oct 31, 2018
जिले में धान कटाई का काम शुरू हो गया हैं लेकिन किसानों के चेहरे से खुशी गायब है। इसका मुख्य कारण किसानों ने बताया कि जिनके खेतों में सिंचाई की सुविधा रही। उनके खेतों की फसल तो ठीक रही लेकिन जहां बारिश के भरोसे धान की बोनी हुई थी, वहां अल्पवर्षा के कारण 50 फीसदी तक फसल नष्ट हो गई।
लागत तक निकलना मुश्किल हो गया हैं। परेशानी की दूसरी वजह यह है कि अभी तक अनुमानित आनावारी रिपोर्ट तैयार नहीं किया गया है। इससे पहले चरण में फसल के उत्पादन का आंकलन कर मुआवजा देने की तैयारी शुरू की जाती है। अल्प और खंड बारिश के कारण जिले के कई गावं के किसानों के धान की फसल पैरा में तब्दील हो गई। जानकारी के अनुसार फसल के मुआवजे के लिए तीन बार आनावारी रिपोर्ट बनाई जाती हैं। इसमें पहले चरण में धान कटाई से पहले अनुमानित आनावारी रिपोर्ट बनाई जाती हैं। जिसमें पटवारी खेतों में धान की खड़ी फसल से उत्पादन का आंकलन कर रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन को भेजते हैं। यहां एक एकड़ में 15 क्विंटल धान सोसाइटी में किसान बेच सकते हैं।
मुआवजे के लिए बनाई जाती है तीन बार रिपोर्ट, फिर मिलता है मुआवजा
अल्प वर्षा के कारण 50 फीसदी तक फसल नष्ट, इस बार लागत तक निकलना मुश्किल
इस बार क्षेत्र में कम बारिश हुई है। इससे कई क्षेत्रों में 50 फीसदी नुकसान हुआ है।
किसानों ने सुनाई पीड़ा, कहा- लागत निकलना मुश्किल
ग्राम अमरपुर के लगनसाय, जवाहिर, अवधराम, धन्नीराम, खडग़वां के निर्मल कुमार, पेंड्री के वीरेंद्र लाल सहित उधनापुर के बनारसी साहू ने बताया कि इस साल धान के फसल से हम लोग काफी निराश हुए हैं। क्योंकि पिछले साल सूखा पड़ने से परेशान रहे। इस साल उम्मीद थी कि फसल ठीक होगा लेकिन अब लग रहा हैं कि लागत भी नहीं निकल सकेगा। वहीं मुआवजे की उम्मीद भी कम दिख रही है। क्योंकि इसी बीच चुनाव होना हैं। सोसायटी में धान बेचने की अंतिम तारीख बुधवार को हैं। अभी पंजीयन का काम आज तक चलेगा।
1114 किसानों ने कराया धान बेचने पंजीयन
जिले में पहले से 14762 किसान रजिस्टर्ड हैं 1114 किसानों ने धान बेचने पंजीयन कराया हैं और 31 अक्टूबर तक यानि बुधवार तक सोसाइटी में पंजीयन किसान करा सकते हैं। विपणन विभाग के अनुसार अभी रजिस्टर्ड किसानों के धान का रकबा 27473 हेक्टेयर हैं।
पटवारी बनाते हैं अनावारी रिपोर्ट, वे चुनाव में तैनात
मुआवजा 33 प्रतिशत से कम उत्पादन पर दिया जाता है
फसल का रकबा घटाकर 59 हजार हेक्टेयर किया
इस साल धान फसल का रकबा कम कर के 59 हजार हेक्टेयर किया गया। जबकि साल 2017-18 में 64 हजार हेक्टेयर रहा। इसी साल जिले को सूखा प्रभावित घोषित किया था लेकिन इस साल चुनाव के चक्कर में न तो अभी तक अनुमानित अनावारी रिपोर्ट तैयार की गई हैं और न ही सूखे राहत को लेकर कोई ऐलान किया है। जिला प्रशासन के अधिकारियों से इस बारे में पूछने पर बताया कि 20 नवंबर के विस चुनाव की तैयारी को लेकर पूरा जिला प्रशासन का अमला चुनाव ड्यूटी में तैनात हैं। यही वजह है कि अभी अनावारी रिपोर्ट नहीं बन पा रही हैं। यहां बता दें कि पटना, ब्लाक खडग़वां और भरतपुर और मनेंद्रगढ़ के आधे गावं सूखे की चपेट में हैं। फसल यहां उन्हीं किसानों की बची पाई है, जिनके खेतों में स्वयं सिंचाई का साधन हैं। जिला मुख्यालय से कम बारिश के कारण झुमका और गेज डेम से सिंचाई के लिए पानी नहीं छोड़ा हं। ग्राम टेंगनी, सारा, अमरपुर, सलका, सलवा, कंचनपुर, बुडार, सहित पटना के 24 गावं की फसल चौपट हुई है।