रायगढ Nov 10, 2018
9 दिनों में 5 समितियों पर 1337.52 क्विंटल धान की खरीदी हुई है। अभी भी 74 समितियों में बोहनी का इंतजार है। अब दीपावली त्योहार खत्म होने के बाद धान का आवक बढ़ने की संभावना है। 1 नवंबर से पूरे प्रदेश समेत जिले के 79 समितियों के 123 केंद्रों में धान खरीदी शुरू हुई है। मंगलवार तक जिले के लोधिया, केडार, केराझर और बड़े भंडार में किसान धान लेकर पहुंचे। धान खरीदी पर इस बार दीपावली त्यौहार एवं चुनावी बुखार भारी पड़ गया है। किसानों के घरों पर धान की ढेर लगा हुआ है, लेकिन लगातार छुट्टी होने की वजह से समितियों से किसानों को टोकन जारी नहीं हो रहा है। इससे किसान धान नहीं बेच पा रहे हैं। राज्य की भाजपा सरकार इस बार चुनावी लाभ लेने के लिए 15 दिनों पहले यानी 15 नवंबर की बजाय 1 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कर रही है। समय से 15 दिन पहले ही खरीदी शुरू होने के कारण अर्ली वेरायटी वाले धान की फसल लेने वाले किसानों के ही आने की उम्मीद थी और समितियों में भी ऐसा ही हो रहा है। वहीं दीपावली त्यौहार और अन्य छुट्टियों की वजह से किसान चाह कर भी दीपावली पर धान नहीं बेच सकें। दरअसल, शासकीय अवकाश के दिन धान खरीदी नहीं होती। 1 से 6 नवंबर तक केवल चार दिन ही समिति खुले। इससे किसानों को मजबूरन में धान बिचौलियों के पास बेचना पड़ा।
किसान होंगे प्रभावित- ग्रामीण इलाकों में चुनाव प्रचार शुरू हो जाने के कारण अब किसान प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि राजनैतिक पार्टियों द्वारा की जाने वाली रैली व सभा के लिए मजदूरों को बहला फुसलाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इससे धान कटाई, मिंजाई का काम प्रभावित हो रहा है।
सूखे के कारण फसल खराब, खेतों में छोड़ रहे मवेशी
बीते वर्ष की तरह इस साल भी जिले में पांच ब्लॉकों में सूखे की स्थिति है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति बरमकेला की है। यहां मंजूर पाली, छिंदपतेरा, जगदीशपुर, केरमेली, अकबरटोला जैसे दर्जनों गांव है। जहां खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं होने की वजह से सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल पूरी तरह से सूख गई। अब मंजूर पाली के किसान अमर पटेल, जगबंधु पटेल, रूपलाल पटेल, गिरधारी, सरोज पटेल अपने अपने खेतों में मवेशी छोड़ रहे हैं। ऐसा ही हाल अन्य गांवों के किसानों का है।