रायपुर Oct 25, 2018
चुनाव का रंग चढ़ते ही रायपुर से कवर्धा चिल्फी घाटी तक मतदाताओं और नेताओं में सक्रियता दिखने लगी है। नेता घर-घर लोगों को जोड़ने में लगे हैं तो पिछले कई सालों से चली आ रही समस्याएं भी फिर से लोगों की जुबान पर आने लगी हैं।
कुम्हारी से लगे गांव में कुछ साल पहले रोजगार का साधन रही शराब फैक्ट्री बंद होने से कई कोचिये सक्रिय हो गए और अब वे ही समस्या बन गए हैं। कवर्धा के गांव में कुछ फैक्ट्री चल रही है, लेकिन गांववालों को नौकरी नहीं। फसल तैयार है लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं। भास्कर टीम ने रायपुर से बेमेतरा, कवर्धा-पंडरिया, अहिवारा, साजा, नवागढ़ विधानसभाओं के गांवों की टोह ली।
कवर्धा-पंडरिया : 6 माह से बिना पानी खड़ी है टंकी, फैक्ट्री में लोकल को काम नहीं
भाजपा | कांग्रेस |
अशोक साहू | मो. अकबर |
वोट : 93645 | वोट : 91087 |
मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र। लोग वर्तमान विधायक की सक्रियता पर सवाल उठाते मिले, लेकिन मुख्यमंत्री का नाम आते ही नरम हो जाते हैं। पंडरिया के एक गांव में सड़क किनारे बैठे कुछ बुजुर्ग कहने लगे कि सड़क तो अच्छी हो गई है, लेकिन गांव की समस्या अभी भी खेती ही है। कवर्धा से लगे हरिनछपरा गांव में एक पान दुकान के सामने 10-12 लोगे बैठे मिले। उनका भी कहना था कि रोजगार के साधन नहीं है। यहां शक्कर के साथ एक और फैक्ट्री चल रही है, लेकिन लोकल लोगों को काम नहीं मिला। सिर्फ पत्थर फोड़ने के लिए गांववालों को बुलाते हैं। एक बुजुर्ग ने बताया, पानी की बड़ी समस्या है। कुछ घरों में कुआं या बोरिंग है, वहीं से गुजारा चलता है। पानी टंकी छह महीने से तैयार खड़ी है, पाइप लाइन भी बिछ गई, लेकिन सप्लाई शुरू नहीं किया है।
बेमेतरा : गली-मोहल्ले तक में कराया गरबा, चुनावी गीत की दुकान भी खुल गई
भाजपा | कांग्रेस |
अवधेश चंदेल | ताम्रध्वज साहू |
वोट : 74162 | वोट : 59048 |
इस हाईवे में दूसरी सबसे चर्चित सीट जहां तीनों पार्टियों की भूमिका है। बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग को जोड़ने वाली सड़कें यहां से गुजरती हैं। शहर में इस बार नवरात्रि पर गरबा-डांडिया कराने की होड़ सी मची थी। कोई नेता तीन तो कोई चार जगहों पर गरबे के बहाने लोगों के बीच मौजूदगी जताने में लगा था। बायपास के एक ढाबे में खाना खा रहे कुछ कारोबारियों ने बताया, अब तो इस बार कड़ी टक्कर है। तीन पार्टियां मैदान में जो हैं। भाजपा में जिला अध्यक्ष और वर्तमान विधायक दावेदार थे। दूसरी तरफ कांग्रेस से आशीष छाबड़ा पैसे खर्च करने में सबसे आगे हैं। जोगी पार्टी के उम्मीदवार ने गांव-गांव में मकानों की दीवारों में तस्वीर छाप रखी है। शहर की एक दुकान पर अलग-अलग पार्टियों के चुनाव चिन्ह के साथ बोर्ड लगा था कि चुनावी गीत तैयार किए जाते हैं। हालांकि दुकानदार ने बताया कि अभी ग्राहक नहीं आ रहे हैं।
फसल को बरबाद कर रहा प्रदूषण
अहिवारा : अवैध शराब और बेरोजगारी बड़ी परेशानी
भाजपा | कांग्रेस |
सांवला डाहरे | अशोक डोंगरे |
वोट : 75337 | वोट : 43661 |
अहिवारा विधानसभा की सरहद भिलाई-3 से चरौदा, कुम्हारी, अहिवारा तक फैली है। कुम्हारी से लगे ढाबा गांव में सड़क किनारे एक दुकान पर चार-पांच युवा बैठे मिले। उनकी चर्चा चुनाव और शराब पर केंद्रित थी। दुकान वाले युवक ने कहा कि दोनों बड़ी पार्टियों की नहीं, बल्कि तीसरी पार्टी की लहर ज्यादा दिखाई देती है। लेकिन उसमें भी गठबंधन हो गया है, इसलिए लोगों को समझ नहीं आ रहा। यहां के लोग उस नेता को पुराने चुनाव चिन्ह से जानते हैं, अब नए चिन्ह में वोट देंगे कि नहीं। समस्याएं पूछने पर युवकों ने बताया, रोजगार के लिए रायपुर या दुर्ग जाते हैं। सड़क किनारे ही कई घरों में खुलेआम शराब बिकती है। बेरोजगारी बड़ी समस्या है।
साजा : हार के बाद कुछ महीनों से हर घर में दिख रहे हैं नेताजी
भाजपा | कांग्रेस |
लाभचंद बाफना | रविंद्र चौबे |
वोट : 81707 | वोट : 72087 |
इस विधानसभा में नंदनी चौक पर सड़क किनारे लगी दुकानें ही तमाम चर्चाओं का ठिकाना हैं। हर आने-जाने वाली बस और गाड़ियां यहां रुकती हैं। इन मझोले कारोबारियों का कहना था कि वे व्यक्ति नहीं बल्कि पार्टी प्रेम में वोट देंगे। सब्जी बेच रहे बुजुर्ग कहने लगे कि टक्कर तो दो बड़ी पार्टियों में ही है। एक हार के बाद पिछले कुछ महीनों से काफी सक्रिय हैं, घर-घर और गांव-गांव हर कार्यक्रम में दिख जाते हैं। वहां मौजूद एक महिला कहने लगी कि अभी तो उनके घर हर दिन 50-100 लोगों का खाना पकता है। यहां भी किसानों और युवाओं की समस्या लंबे समय से जस की तस बनी हुई है।
नवागढ़ : किसान परेशान, भीतरी सड़कें खराब
भाजपा | स्वाभिमान मंच |
दयालदास बघेल | डीपी घृतलहरे |
वोट : 69447 | वोट : 42254 |
एसटी-एससी बहुल नवागढ़ पहुंचने पर दयालदास बघेल के दो बड़े पोस्टर स्वागत करते दिखे। चौक की एक दुकान पर कुछ लोगों से चर्चा की गई। उनका निष्कर्ष यही था कि दूसरी पार्टियों से दावेदार सही नहीं हैं। एक अन्य ने कहा, आप वाले भी लंबे समय से लगे हैं। कुछ को चिंता इस बात से थी कि सामान्य वर्ग का कोई नेता चुनाव नहीं लड़ सकता। आरक्षित सीट जो है। यहां भी किसान परेशान दिखे, भीतरी सड़कों की समस्या दिखाई दी। आचार संहिता लगने के बाद बेमेतरा से नवागढ़ तक आने वाले रोड पर पेंचवर्क चल रहा है। यह खानापूर्ति से ज्यादा नहीं है। रास्ते में तो कुछ मकान ऐसे थे, जहां एक ही दीवार पर एक ही पार्टी के दो उम्मीदवार तो किसी पर अलग-अलग दलों के नारे लिखे हैं।