श्योपुर Oct 16, 2018
धान की फसल पर भी बिजली कटौती के चलते संकट खड़ा हो गया है। सिंचाई के अभाव में धान की फसल सूखने लगी है। किसानों का कहना है कि 3 से 4 घंटे बिजली मिल रही है। वह भी इतने कम वोल्टेज में दी जा रही है कि ट्यूबवैल पानी ही नहीं फेंक रहे हैं। कई जगहों पर कम वोल्टेज के चलते ट्यूबवैल फुंक रहे हैं।
इससे किसानों को आर्थिक क्षति पहुंच रही है। किसानों का कहना है कि पांच-सात दिन में बिजली की सप्लाई में सुधार नहीं होने पर धान की फसल बर्बाद हो जाएगी। उधर बिजली कंपनी 10 से 12 घंटे बिजली सप्लाई करने का दावा कर रही है। बिजली संकट को लेकर किसानों का आक्रोश जल्द ही सड़कों पर आ सकता है।
धान की फसल का रकबा सबसे ज्यादा श्योपुर और कराहल विकासखंड में है। यहां के 10 सब स्टेशनों से बिजली सप्लाई का ढर्रा बिगड़ गया है। धान की फसल में सिंचाई के लिए पानी की जबरदस्त मांग है। किसानों को सिर्फ तीन से चार घंटे बिजली दी जा रही है। उसका वोल्टेज भी इतना कम है कि किसान फुंकने के कारण ट्यूबवैल चलाने से डर रहे हैं। इन सब स्टेशनों में धीरोली, जैनी, उतनवाड़, अलापुरा, बर्धा, अड़वाड व सोंठवा शामिल है। किसानों का कहना है कि इस सीजन में बिजली की भारी कटौती हुई है। इस साल सबसे ज्यादा धान की फसल का 22 हजार हेक्टेयर रकबा है। इस वक्त धान की फसल में पानी की जबरदस्त मांग है, क्योंकि फसल फलाव पर है। सिंचाई के लिए किसानों को फुल वोल्टेज में 8 से 10 घंटे बिजली चाहिए। तब जाकर ठीक से फसल में पानी की पूर्ति की जा सकती है। कई जगहों पर तो सिंचाई नहीं होने के चलते फसल सूखने लगी है। धान के पौधे मुरझाने लगे हैं। किसानों की मानें तो जल्द ही बिजली सप्लाई में सुधार नहीं हुआ तो वे धान को भी अपने हाथ से गंवा देंगे।
खेत में खड़ी धान की फसल।
सिंचाई के अभाव में सूखने लगी धान की फसल
10 घंटे बिजली दे रहे हैं