मानसून इस बार मेहरबान रहा, फसल भी अच्छी होने का अनुमान है लेकिन किसान नई मुसीबत में फंस गए हैं। समितियों से घटिया बीज दिए जाने के कारण खेतों में कई वेराइटी का धान उग रहा है। यह शिकायत बरमकेला और रायगढ़ ब्लॉक में ज्यादा सामने आई है। बीज निगम ने अलग-अलग प्रजाति के बीजों को मिला दिया।
घटिया बीज के कारण अब प्राप्त फसल को बेचना किसानों के लिए मुश्किल होगा। किसानों ने समितियों से एक किस्म का धान लिया था, पर खेतों में अब तीन से चार किस्म के धान (रजगा) निकल रहा है। समर्थन मूल्य पर शासन पतला और दूसरे में सरना व अन्य मोटे किस्म की धान की खरीदी करता है। पतले के लिए प्रति क्विंटल Rs.1770 तो सरना व मोटे धान के लिए Rs.1750 कीमत निर्धारित है। जिले के करीब 69 हजार किसानों को 70 हजार क्विंटल पतला, सरना व हजार एक सहित कई किस्म की बीज 79 समितियों के जरिए आपूर्ति की गई है। जिन जिन किसानों ने समितियों से धान बीज लेकर रोपाई व थरहा लगाकर खेती की है। उनके खेतों में लगे धान फसल के आधे से अधिक धान पौधे अपरिपक्व होकर बाहर निकल रहे हैं। जिसे किसान खराब क्वालिटी का बताकर समितियों में इसकी शिकायत करने लगे हैं।
किसानों की बीज पर शिकायतें नहीं
कुछ किसान समितियों से बीज लेकर धान की बुआई और थरहा लगाकर खेती कर रहे हैं तो कुछ किसानों ने बीते साल उत्पादन किए गए धान से खेती कर रहे हैं। जिन खेतों में रजगा धान (मिश्रित) के पौधों में बदरा युक्त बाली आने लगी है उन किसानों ने गांव व आसपास के गांवों के खेतों में जाकर व किसानों से जानकारी ली तो केवल समितियों से ली गई बीज में रजगा दिखाई दे रही है, जिन्होंने अपने घर के धान से खेती कर रहे हैं। उनके खेतों में रजगा नहीं दिखाई दे रहा है। मतलब बीज निगम या समितियों में ही मिलावट की गई है।
मैंने उसी वक्त शिकायत की थी, पर अमानक नहीं माना गया
डोंगरीपाली समिति में जिस वक्त किसानों को धान बीज वितरण किया जा रहा था। उसी वक्त इसमें मिलावट दिखाई दे रहा था। इसकी शिकायत समिति से लेकर जिला प्रशासन से भी की गई थी। पर बिना जांच किए ही अच्छा बता दिया गया। पूरे ब्लॉक में अमानक बीज वितरण किया गया है। अच्छी बारिश होने की वजह से किसान खुश थे, पर अब रजगा देखकर परेशान है। बीज वितरण की जिला स्तर पर जांच होनी चाहिए जिससे मिलावट करने वाले पर्दाफाश हो।
ठाकुर राम पटेल, कांग्रेस नेता व किसान छैलभांठा
अब क्या होगी परेशानी
रजगा धान होने की वजह से धान के उत्पादन पर असर तो पड़ेगा ही साथ में इसे समिति में मिलावट मानकर खरीदी नहीं की जाएगी। शासन पतला, सरना व मोटे धान की खरीदी करता है। मगर एक ही खेत में कई किस्म की धान पैदावार होने की वजह से इसे अलग नहीं किया जा सकता। फसल कटाई होने के बाद न तो समिति में बिकेगी न ही खुले बाजार में। यहां तक इस धान का उपयोग किसान मिलिंग कर खाने के लिए भी उपयोग नहीं कर पाएंगे।
 
फैक्ट फाइल
1.12 लाख हेक्टेयर में खरीफ सीजन की खेती
79 समितियों से बीज की आपूर्ति
69 हजार किसानों ने समितियों से ली बीज
70 हजार क्विंटल बीज का किया वितरण
बरमकेला के खेतों में रजगा (मिश्रित प्रजाति) का धान।