गंधर्वपुरी
ग्राम गंधर्वपुरी और उसके आसपास के गांव के किसानों को समर्थन मूल्य पर पंजीयन कराने के लिए 40 किमी दूर दौलतपुर जाना पड़ रहा है। यहां भी नियम की जटिलता के चलते किसानों को दो-दो दिन तक भटकना पड़ता है।
सेवा सहकारी समिति के तेरह गांव ऐसे हैं जिनको समर्थन मूल्य योजनान्तर्गत खरीफ की फसल सोयाबीन के पंजीयन के लिए 40 किमी दूर जाना पड़ रहा है। इनमें गंधर्वपुरी के 1300, लोंनदिया के 400, गुराड़िया के 350, देहरी, कराड़िया, सुराखेड़ा के 350, बैराखेड़ी, पटाड़िया के 600, गढ़खजुरिया के 850, रजापुर,खुटखेड़ा, जोलय, पाड़ल्या के 1000 किसानोें सहित क्षेत्र के 4250 किसानों को 40 किलोमीटर का सफर तय कर जाना पड़ता है। जबकि गंधर्वपुरी बीच सेंटर में और बड़ा गांव होने के बावजूद इस सुविधा से वंचित हैं। यह 13 गांव सोनकच्छ की सेवा सहकारी केन्द्रीय मर्यादित बैंक के अंतर्गत आते हैं। शासन द्वारा कलेक्टर के माध्यम से तीन केंद्र बनाए गए हैं। इनमें सेवा सहकारी संस्था सोनकच्छ, मार्केटिंग संस्था सोनकच्छ, सेवा सहकारी संस्था दोलतपुर शामिल हैं। जिसमें से गंधर्वपुरी व गढ़खजुरिया संस्थाओं में आने वाले गांवों का पंजीयन केंद्र दौलतपुर है। पहले गेहूं चने की फसल के समय दौलतपुर सेवा सहकारी संस्था के कर्मचारी सोनकच्छ में बैठकर पंजीयन करते थे। परन्तु अब इन किसानों को दौलतपुर जाना पड़ रहा है।
यह होना चाहिए : किसानों का कहना है संबंधित संस्था में ही पंजीयन हो। और बाद में सारा रिकार्ड संबंधित संस्था जिस संस्था को केंद्र बनाया वहां पर दर्ज करा दे जिससे किसानों का समय भी बचेगा और आर्थिक रूप से भी बचत होगी।
मामला हमारा नहीं, खाद्यान्न विभाग का है, उन्हीं से चर्चा करें
इस संबंध में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंधक कैलाशचन्द्र त्रिपाठी ने कहा यह मामला हमारा नहीं है। मामला खाद्यान्न विभाग का है, उन्हीं से चर्चा करें।
मैं मामले को दिखवाती हूं
इस संबंध में जिला खाद्य अधिकारी शालू वर्मा का कहना है आपके द्वारा ही मुझे किसानों की परेशानी की जानकारी मिली है। किसान आवेदन देते तो उसका परीक्षण करवा लेते। जहां तक गंधर्वपुरी में कर्मचारी बैठाने का मामला है तो यह जिला केंद्रीय केंद्रिय सहकारी बैंक के प्रबंधक का है। फिर भी मैं मामले को दिखवा लेती हूं।
नियम की जटिलता से भी हो रहे परेशान
इधर नियमों जटिलताओं के कारण किसानों की और फजीहत हो रही है। जिन किसानों की पावती में एक से अधिक नाम चढ़ें हुए उनको शपथपत्र बनवाना पड़ता है। किसान का एक दिन तो इस कार्य में चला जाता है। दूसरे दिन सुबह से दौलतपुर पहुंचाता है तो दिनभर में 30-35 किसानों का ही पंजीयन हो पाता है। बाकी लाइन में लगकर वापस बैरंग लौट जाते हैं। ऐसे किसानों को आर्थिक रूप से भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है