Nov, 03 2018
रायपुर . कमल विहार की योजना लागू किए आरडीए को करीब छह साल हो गए हैं, लेकिन जिन किसानों की जमीन आरडीए ने अधिग्रहित की है, उनमें से अधिकांश लोगों को आज तक विकसित प्लॉट ही नहीं दिया गया है। पीडि़त किसान आरडीए के चक्कर लगाकर थक चुके हैं।
पीडि़त किसानों ने अपने वकीलों के माध्यम से नोटिस देकर भी थक गए है, लेकिन नोटिस का भी जवाब नहीं दिया जा रहा है। एक-दो नोटिस का जवाब दिया भी है, तो उसमें कहा गया है कि आपकी जमीन अवैध प्लाटिंग (रोड/ रास्ते) की सूची में है। इसलिए प्लाट को लेकर द्वितीय अनुबंध किया जाना संभव नहीं है।
पीडि़त किसान जगदीश प्रसाद धनगर ने बताया कि उनकी कृषि भूमि खसरा नंबर 209/1 एवं 226/3 ग्राम बोरियाखुर्द प.ह.नं. को लभग 8-9 वर्ष पूर्व कमल विहार योजना में करते हुए आरडीए ने जमीन अधिग्रहित की थी। इस संबंध में प्रथम पंजीयन भी कर चुका है। इसके बाद दूसरा पंजीयन आरडीए द्वारा आज तक नहीं किया और न ही प्लॉट प्रदान किया गया। उन्होंने बताया कि आरडीए ने करीब दो-तीन सौ किसानों को भी न तो प्लॉट दिया है और न ही दूसरा पंजीयन किया है।
जबकि आरडीए ने प्रथम पंजीयन के दौरान किए गए अनुबंध में स्पष्ट कहा है कि भूमि-स्वामी अपनी भूमि को आरडीए के पक्ष में सहमति से भू-अर्जन के लिए समर्पित करेगा। इसके एवज में आरडीए द्वारा भूमि स्वामी को योजनांतर्गत पुनर्गठित विकसित प्लॉट उपलब्ध कराएगा। लेकिन अभी तक प्लॉट उपलब्ध नहीं कराया है। अब अवैध प्लाटिंग की सूची में होने का हवाला देकर प्लॉट नहीं दे रहा है।
रायपुर विकास प्राधिकरण के सीईओ अभिजीत सिंह ने बताया कि कमल विहार में प्रभावितों को मुआवजा को लेकर मामला कोर्ट में लंबित है। अगली सुनवाई 13 नवंबर को तय की गई है। लंबित मामलों को लेकर आरडीए ने अपनी दलीलें रखीं है।