आगर-मालवा | Sep 14, 2018
सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर फसल बेचने की इच्छा रखने वाले क्षेत्र के किसानों को कई दिनों से अपना पंजीयन कराने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। पंजीयन कराने के लिए कृषि उपज मंडी आ रहे भूखे-प्यासे किसान 4-5 दिनों से परेशान हो रहे हैं। कभी लिंक फेल बताई जाती है, तो कभी पोर्टल काफी धीमे चलता है। इस कारण पंजीयन नहीं हो पाते। निराश व हताश किसान शाम को घर लौटकर अगले दिन फिर पंजीयन केंद्र का चक्कर काटते हैं। गुरुवार को जब किसानों के सब्र का बांध टूटा, तो वे बड़ी संख्या में कलेक्टोरेट पहुंचे। एडीएम एन.एस. राजावत को अपनी पीड़ा बताई। एडीएम ने पंजीयन करने वाले कर्मचारियों को तत्काल निर्देश दिए,फिर भी समस्या बनी हुई है।
5 दिनों से आ रही अधिक समस्या
पंजीयन के लिए आवेदन देने आए किसान राधेश्याम, कालूराम, नेनसिंह, मोहन लाल, मानसिंह, रघुवीर सिंह, बद्रीलाल व ईश्वर सिंह ने बताया पंजीयन कराने के लिए हम 4-5 दिनों से आ रहे है। जब कृषि उपज मंडी आते है, तो अधिकारी हमें बता देते है कि लिंक फेल है। सुबह से शाम तक लिंक चालू होने का इंतजार करते करते शाम को घर जाना पड़ता हैं। जब पंजीयन होते है, तो इतनी धीमी गति से होते है कि पूरे दिन में 4-5 लोगों का ही पंजीयन हो पाता है। नेन सिंह, ओमप्रकाश, चंदर लाल व कमल सिंह ने बताया सुबह घर से बिना भोजन करे निकलते है। दिन भर मंडी में परेशान होना पड़ता है। भूखे-प्यासे रहने के बाद भी पंजीयन न होने से काफी परेशान हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले पंजीयन सहकारी संस्थाओं व मार्केटिंग सोसायटी में होते थे, लेकिन उनके कर्मचारी भी यह कह कर टाल रहे है कि पंजीयन कृषि उपज मंडी में ही होंगे।
एडीएम के निर्देश पर जमा किए फार्म
जब किसानों ने एडीएम को समस्या बताई, तो एडीएम ने पंजीयन करने वाले अधिकारियों को निर्देश दिए कि संबंधित किसान के आवेदन लेकर रख ले। इसके बाद किसानों ने मंडी में पहुंचकर अपने आवेदन जमा कर दिए। कुछ जागरूक किसानों का कहना था कि आवेदन फार्म में लिखे गए मोबाइल पर ओटीपी आएगा। कई किसान ऐसे है जो ओटीपी नंबर का महत्व नहीं समझते है। जो समझते है उन्हें भी अपना ओटीपी नंबर बताने के लिए फिर मंडी आना पड़ेगा। समस्या का स्थाई समाधान तब होगा जब पोर्टल ठीक प्रकार से चले और समय पर पंजीयन हो जाए। किसानों का यह भी कहना था कि कुछ दिनों बाद फसल पकने लगेगी, तब हमें फसल कटाई में लगना पड़ेगा। ऐसे में हमारे सामने दिक्कत यह रहेगी कि हम पंजीयन कराए या फसल काटे।