पिपरिया Oct 15, 2018
10 साल से प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव के विधानसभा क्षेत्र रहली में आचार संहिता लगने तक हर दिन दो-तीन भूमिपूजन और लोकार्पण होते रहे। आलम ये है कि पंचायत विभाग के बजट का बड़ा हिस्सा उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र पर खर्च कर डाला। जब मंत्री से प्रदेश के बाकी हिस्सों के साथ राशि खर्च करने में हुए कथित भेदभाव पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने दूसरे मंत्रियों का उदाहरण देकर पल्ला झाड़ लिया। वैसे बता दें कि भार्गव ने पिछले साढ़े चार साल में 3500 करोड़ के 80 से ज्यादा प्रोजेक्ट के भूमिपूजन किए, जबकि पिछले दो माह में उन्होंने 2000 करोड़ रु. के 25 प्रोजेक्ट के भूमिपूजन कर डाले।
अब बात रहली विधानसभा सीट की। भास्कर ने जब यहां दस्तक दी तो विकास पर तो कोई कुछ नहीं बोला पर किसानों का दर्द सामने आया। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में किसान सूखा राहत की राशि नहीं मिलने से नाराज थे। उनका कहना था कि मंत्री से कई बार कहा, पर न तो राशि आई और न ही व्यवस्था सुधरी। पर्रका से बहेरिया, काछी पिपरिया सहित कई गांवों की सड़कें आज भी उखड़ी पड़ी हैं। पिछले दिनों कृषक संगोष्ठी भवन का छज्जा गिरने से हादसा हुआ तो लोगों ने इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए।
ग्रामीण बोले… मंत्री से कई बार कहा, पर किसानों को न मुआवजा मिला और न मदद
कांग्रेस के लिए दो चुनौतियां
1. गोपाल भार्गव 7 बार से रहली से विधायक हैं। कांग्रेस अब तक उन्हें मुकाबला देने वाला प्रत्याशी नहीं ढूंढ पाई है। इस बार भी मुश्किल है।
2. यहां कांग्रेस 3-4 गुटों में बंट गई है। उनके बीच ही वर्चस्व और टिकट को लेकर अंतर्द्वंद्व चल रहा है। ऐसे में इनके नेताओं का एक मंच पर आना मुश्किल है।
चौपाल से… खेतन को पानी चानें, बिजली नईंयां
Áलखन कुर्मी : हारों में बिजली नईंयां। रात के 2 बजे आउत हे। ओ टाइम पे को जा रव खेत, अब चना की तैयारी चल रई हे। खेतों को तो पानी चानें हें और बिजली दिन में रेत नईंयां।
Áरूपनारायण पटेल : मंत्रीजी ने तिंसी बांध बनवा दओ, जासें कई गांवन के लोग खेती कर पा रय हैं। उन जैंसों कोऊ और आदमी मिल जाए तब अपन दूसरे की सोचवी। फिलहाल तो जेई चलवें।
Áर|ेश लोधी : ये बार फसल खराब हो गईं। ओ को बीमा को पईसा नईं मिलो अबे तक। जा सरकार किसानों की नईं सुन रईं। हम भी देख हैं जा चुनाव में।
Áअवतार सिंह घोषी : हमाए गांव में लेट्रिन नईं बनीं। सूखा को पैसा नईं मिल रव। जियाएं से मदद मिल है हम तो उतईं गिर हैं। मंत्रीजी से केकें सूखा को पैसा दिलवा देयो भज्जा। कब से भटक रए।
Áअवधेश वर्मा : सबसे जादा दिक्कत जा बेर किसानन को भई। न फसल को पैसा मिलो, न मुआवजा। मंत्री से कै-कै के थक गए, वे भी सिस्टम पे बात डार देत। काम कछु नईं आत।
Áपहलवान दद्दा : भइया, पूरे रहली मा किसानई परेशान हैं। हम की को फसल बेचें, जब पैसई पूरौ नई मिल रओ। घर कैसे चलाएं, सरकार ने जा बेर किसानों को दुखी कर दऔ।
Áहनुमत ठाकुर : कछुअई तो नईं छोड़ो भज्जा ने। स्टापडेम इत्ते बनवा दए के उनमें सालभर पानी भरो रेत है। गढ़ाकोटा के लोग तो सुमिंगपूल में नहा रये।
रहली : जातिगत समीकरण
कुशवाहा
27 हजार
एससी
40 हजार
कुर्मी
32 हजार
कुल वोटर 2.20 लाख
लोधी
18 हजार
अन्य
95 हजार
कई मंत्री ऐसा ही कर रहे
Ãज्यादातर मंत्री अपने विभाग का बजट अपनी सीट पर खर्च कर रहे। नरोत्तम मिश्रा भी अपने क्षेत्र के लिए बड़े प्रोजेक्ट मंजूर करा रहे हैं। पहले मेडिकल कॉलेज फिर दतिया को नगर निगम का दर्जा। रही बात घटिया सड़कों की तो मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई। – गोपाल भार्गव, मंत्री