सिटी रिपोर्टर | मधुमक्खियां हमारी फ्रेंड होती हैं, ये शहद तो बनाती ही हैं, पॉलिनेशन में भी मदद करती हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम शहद के लिए सिर्फ मार्केट के मिलावटी शहद पर निर्भर न रहें, बल्कि खुद ही मधुमक्खियों का पालन करें। रविवार को गुलाब उद्यान में यह बात हॉलैंड से आए हनी बी प्रोडक्शन स्पेशलिस्ट हारमन बिशप ने कही। उन्होंने बताया कि भोपाल के लोगों के बीच एक बड़ी भ्रांति यह है कि यहां का टेम्प्रेचर मधुमक्खियों के लिए काफी गरम होता है। ऐसे में यहां मधुमक्खियों का पालन नहीं किया जा सकता, जबकि यह पूरी तरह गलत है। आप यदि बिजनेस न भी करना चाहें, तो सिर्फ शौक के लिए भी हनी-बी प्रोडक्शन कर सकते हैं।
3 किमी तक की रेंज में उड़ती हैं मधुमक्खियां
हारमन बिशप ने बताया मधुमक्खियां फूलों से परागकण लेकर शहद बनाती हैं, इसके लिए यह जरूरी नहीं कि आप यदि टेरेस पर मधुमक्खियों का बॉक्स सेट कर रहे हैं, तो घर पर टेरेस गार्डन भी हो। मधुमक्खियां 3 किलोमीटर तक की रेंज में उड़ती हैं, ऐसे में आपकी कॉलोनी में या आसपास लगे पौधे और फूल भी मधुमक्खियों के आहार का स्रोत बन सकते हैं, इसके लिए जरूरी नहीं कि आपके घर में फूलों का गार्डन हो। इस अवसर पर एक्सपर्ट राजबीर सिंह ने बताया कि मधुमक्खी पालन के दौरान इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि शहद को छत्ते से उनके मेच्योर हो जाने के बाद ही एक्सट्रैक्ट किया जाए। इसके लिए रिफ्रेक्टोमीटर के माध्यम से शहद का मॉइश्चर कॉन्टेंट और सुक्रोस लेवल मापना चाहिए।