श्योपुर | Oct 07, 2018
शहर सहित जिले के सवा सौ गांव की जीवनदायिनी सीप नदी के संरक्षण के लिए नगर पालिका प्रशासन ने योजनाएं तो खूब बनाई है, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में अमल नहीं हो पा रहा है। गत वर्ष कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई सीप उद्घार समिति की बैठक में हुए निर्णय के अनुसार शहरी क्षेत्र में चार किलोमीटर लंबे दायरे में सीपनदी के किनारे अवैध कब्जे हटाए जाने थे। लेकिन प्रशासन की ढिलाई के चलते एक बार फिर से नदी के बहाव क्षेत्र में खाली जमीन पर खेती की तैयारी होने लगी है। जबकि राजस्व विभाग अभी तक कब्जेधारियों को चिह्नित भी नहीं कर पाया है। जिससे नदी का दायरा हर साल सिमटता जा रहा है।
नदी किनारे अवैध कब्जा कर बनाए गए खेतों में फसल उगाने से लेकर पकने तक सिंचाई चोरी के पानी से होती है। सीप नदी से सिंचाई पर रोक के बावजूद नदी किनारे सैकडों डीजल इंजन पंप से पानी खेतों में उलीचा जाता है। रबी सीजन की शुरुआत में ही नवंबर से अवैध सिंचाई के चलते नदी सूख जाती है और इसका खामियाजा भूजल संकट के रूप में लोगाें को भुगतना पड़ता है। यही वजह है कि श्योपुर शहर का वाटर लेवल हर साल गिरता जा रहा है। वर्तमान में शहर का वाटर लेवल रिकॉर्ड 310 फीट की गिरावट के बाद बारिश के फलस्वरूप सुधरने लगा है। लेकिन जिस तरह शहर के मालीपुरा से लेकर जाटखेड़ा , नागदा व इसके आगे नदी किनारे रबी फसल उगाने की तैयारी चल रही है, उसे देखते हुए अगले कुछ महीने में नदी का जल स्तर गिरने के साथ ही शहर में खतरे का अलार्म बज जाएगा। उधर मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने जिला प्रशासन के सहयोग से नदी किनारे जमीन से कब्जे हटाने एवं अवैध सिंचाई पर अकुंश लगाने के लिए जल्द ठोस कार्रवाई करने की बात कही है। वहीं इस बार सितंबर माह में सीप नदी में आई बाढ़ के दौरान नदी किनारे तमाम खेतों के निशान मिट गए थे। जगह जगह जमीन घेरने के लिए लगा रखी कांटे की बागर और तार फेंसिंग सहित खेतों में उगी फसलें पानी के बहाव के साथ बह गई थी। इसके साथ ही शहर के बंजारा डैम की डाउन स्ट्रीम में भरा पड़ा पॉलीथिन कचरा व सीवेज की गंदगी भी पूरी तरह साफ हो गई। लेकिन नदी का जल स्तर सामान्य होने के साथ ही लोगों ने जहां के तहां फिर से कब्जे शुरू कर दिए। नदी किनारे जमीन को समतल करके हांक जोत की जा रही है। नदी किनारे की जमीन पर सरसों, गेहूं, मटर के अलावा सब्जीवर्गीय फसलों की बोवनी के लिए खेत तैयार किए जा रहे हैं। वहीं यूं तो सीप नदी पर अपने उद्गम स्थल पनवाड़ा से लेकर रामेश्वर धाम तक नदी के दोनों किनारे अतिक्रमण की चपेट में है। शहरी क्षेत्र में मालीपुरा, मलपुरा से लेकर बंजारा डैम, जाटखेड़ा व नागदा तक नदी के दोनों तरफ खेत के खेत तैयार हो रहे हैं। कई जगह नदी किनारे ट्रैक्टर चाटी चलाकर जमीन समतल करने और बागड़ लगाने की कवायद चल रही है।
सीप नदी किनारे कब्जा कर बनाए जा रहे खेत।
नदी में सीवरयुक्त नाले गिरने से जल प्रदूषण
शहर में ड्रेनेज सिस्टम पहले ही खराब है। पूरे शहर के सीवरयुक्त नालों का पानी सीधे सीप नदी में बहाया रहा है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। वर्तमान में शहर के मैन बाजार, किला, जती घाट, गिर्राज घाट ,सोनघटा, पंडित घाट, बंजारा डैम , मठेपुरा, मलपुरा, हसनपुर हवेली के गंदे नाले सीप नदी में मिलते हैं। जिससे नदी में जल प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। ।
आज तक नहीं लगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
नगर पालिका अधिकारी और जनप्रतिनिधि ट्रीटमेंट प्लांट की बात कहते आ रहे हैं। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं हुए हैं। नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भी सीप नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने के वादे किए गए थे। लेकिन पिछले चार साल से वाटर ट्रीटमेंट की कार्ययोजना पर कुछ भी नहीं हुआ है।
ट्रीटमेंट प्लांट के लिए बात चल रही है