आष्टा Oct 07, 2018
नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र में सूदखोरों का आतंक नई फसल आते ही फिर से शुरू हो गया है। जिन्होंने जरूरतमंद ग्रामीणों को रुपए दिए थे वे अब उनसे मनमाने रूप से अवैध वसूली कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से प्रकृति विपदा के चलते किसानों की आर्थिक स्थिति भी कमजोर चल रही है।
खेतों से कटकर खलिहान में सोयाबीन की फसल आते ही सूदखोरों का तकाजा शुरू हो गया है। जिससे किसान जैसे-तैसे फसल को तैयार कर रहे हैं। वहीं नगर में लाइसेंस व बिना लाइसेंस के ब्याज का धंधा करने वाले व्यापारियों द्वारा गांवों में तकादे लगाने शुरू कर दिए हैं। प्रशासन की लापरवाही के कारण ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश बिना लाइसेंस के सूदखोरी का कार्य धड़ल्ले से कर रहे हैं।
पहले की थी सख्ती अब पड़ी कमजोर:नगर में पुलिस ने सूदखोरों पर सख्ती जरूर बरती थी, लेकिन वह भी अब कमजोर पड़ गई है। तीन साल पहले तत्कालीन टीआई डीएस चौहान ने जरूर एनाउंस के माध्यम से नगर में लोगों को परेशान करने वाले सूदखोरों की शिकायत करने के लिए जागरूक किया था, लेकिन शिकायत नहीं आ सकी थी।
देनदार में बना रहता है भय: अपनी मनमानी वसूली के लिए सूदखोरों द्वारा वसूली के लिए क्षेत्र के बदमाश किस्म के लोगों को रखा जाता है। जो देनदार को डरा-धमका या मारपीट कर रुपए लेते हैं। धन्नालाल कोरकू ने बताया कि सिद्दीकगंज टप्पा में सूदखोरों का जाल वहां के छोटे-छोटे गांवों में भी फैल गया है। इन सूदखोरों गांव में आतंक मचा रखा है।
तीन गुना ब्याज वसूलते है सूदखोर
ग्रामीण क्षेत्र में किसान को उधार देकर सूदखोर कई कि सानों व गरीब तबके के लोगों को ब्याज पर रुपए देते हैं तथा उन पर 10 से 12 रुपए सैकड़ा या अन्य तरह का ब्याज लगाकर फसल आने पर रुपया वसूलते हैं। धरमपुरी के रमेश मालवीय ने बताया कि ब्याज पर पैसे देने वाले 10 रुपए सैकड़ा का ब्याज लगाते हैं तथा देरी होने पर उसमें चक्रवृद्धि ब्याज जोड़ दिया जाता है।
शिकायत आती है तो कार्रवाई करेंगे
इस संबंध में एसडीओपी वीरेंद्र मिश्रा का कहना है कि सूदखोरों के खिलाफ शिकायत आती है तो जरूर कार्रवाई की जाएगी।