दमोह Oct 25, 2019
जिले में इस बार अच्छी बारिश होने से तालाब लबालब भरे हुए हैं, जिससे इस बार ग्रामीण अंचलों में सिंघाड़े की बंपर पैदावार होने से किसान खुश नजर आ रहे हैं। इसके पहले तालाबों में पर्याप्त पानी न होने से कई सालों से सिंघाड़े की खेती लगभग न के बराबर होती थी, लेकिन इस बार भरपूर बारिश होने से किसानों ने तालाबों में सिंघाड़े की खेती की, जिससे इस बार तालाबों में सिंघाड़े की अच्छी उपज हुई है।
जिले के समीप जुझार गांव के तालाब में इन दिनों सिंघाड़ा तोड़ने का सिलसिला जारी है। तीन बीघा के इस तालाब में प्रति बीघा तीन क्विंटल पैदावार हुई है। किसान राजन रैकवार, लक्ष्मण रैकवार, मनोज, दुर्गेश, लखन, हुकुम, सुनील, रज्जू, अतुल, पुष्पेंद्र, अरविंद ने बताया कि वह समूह बनाकर सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं।
बनवार। बनवार अंचल में इस बार सिंघाड़े की बंपर पैदावार हुई है। जुझार गांव में तालाब से सिंघाड़ा निकालते किसान।
एक पौधे में 14 से 16 सिंघाड़े निकल रहे हैं
किसानों ने बताया कि हर छठवें दिन फल तोड़ा जा रहा है। एक पौधे में 14 से 16 सिंघाड़े निकल रहे हैं। इन्हें तोड़ने के बाद छठवें दिन पुन: इसमें फल आ जाता है। किसानों ने बताया कि छह साल बाद यह सुखद सीजन आया है, जब वे फसल से कुछ कमाई कर रहे हैं। सिंघाड़े की भरपूर पैदावार होने के साथ-साथ बीते वर्ष की तुलना में कीमत भी अच्छी मिल रही है। 100 रुपए प्रति सैकड़ा बिक्री हो रही और दीपावली पर्व व ग्यारस को सिंघाड़े का भगवान को भोग लगता है। इसलिए शहर से लेकर गांव-गांव तक बिक्री होती है। बनवार अंचल के में सर्वाधिक जुझार, हलगज, बनवार, बम्होरी, चौपरा, पोंडी, चिलोद, सिमरी, सगरा, मुआर, झरौली, परस्वाहा ग्रामों के तालाबों में सिंघाड़े की खेती सर्वाधिक होती है।
अन्य प्रदेशों में भी जाता है बनवार अंचल का सिंघाड़ा
बनवार, बम्होरी अंचल का सिंघाड़ा मप्र के साथ-साथ गुजरात में भी भेजा जाता है। यहां का सिंघाड़े का स्वाद मीठा होने के कारण गुजरात के सूरत व अन्य जिलों में सिंघाड़े की ज्यादातर मांग हैं, इसके अलावा दमोह, सागर, कटनी, जबलपुर, उमरिया व शहडोल जिलों में भी क्षेत्र का सिंघाड़ा जाता है।