शाजापुर | Sep 26, 2018
इस साल मध्यप्रदेश में अल्पवर्षा हुई है। नौ जिलों में सामान्य बारिश भी नहीं हुई है। बावजूद किसान खरीफ फसलों के नुकसान की भरपाई चना और मटर लगाकर कर सकते हैं। ये फसलें कम अवधि की है, पकने के बाद इसे कटाई कर दोबारा खेत में गेहूं की फसल ले सकते हैं। मौसम वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान बुलेटिन जारी करते हुए कहा है- मानसून अब विदाई की ओर है, लेकिन अब जाते-जाते तेज बारिश की संभावना है। उधर कृषि विशेषज्ञों का मानना है बारिश के बाद खेतों में नमी आ जाएगी। इसके बाद इसे तैयार कर कम अवधि वाली फसल यानी चना और मटर बोकर खरीफ सीजन के नुकसान की भरपाई कम सकते हैं। रबी सीजन की रणनीति बनाने के लिए कुछ दिनों बाद भोपाल में एपीसी (कृषि उत्पादन आयुक्त) की बैठक होने वाली है। सिंचाई के साधन को ध्यान में रखकर रबी सीजन की प्लानिंग की जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों के आधार पर इस बार कम पानी वाली फसल बोने की सलाह किसानों को दी जाएगी।
इस साल मप्र के नौ जिलों में कम हुई बारिश
मप्र में इस साल मानसून में एक जून से 24 सितंबर तक 7 जिलों में सामान्य से 20 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। प्रदेश के 35 जिलों में सामान्य वर्षा दर्ज हुई है। कम वर्षा वाले जिलों की संख्या 9 है। सामान्य से अधिक वर्षा वाले जिले टीकमगढ़, भिंड, शिवपुरी, दतिया, उमरिया, खंडवा और नीमच हैं। सामान्य वर्षा वाले जिले सिंगरौली, मुरैना, श्योपुर, अशोकनगर, मंदसौर, कटनी, जबलपुर, बुरहानपुर, सीधी, रायसेन, गुना, ग्वालियर, रतलाम, बड़वानी, छतरपुर, दमोह, रीवा, झाबुआ, विदिशा, नरसिंहपुर, राजगढ़, इंदौर, डिंडोरी, पन्ना, खरगोन, मंडला, शाजापुर, शहडोल, सतना, सीहोर, होशंगाबाद, सागर, उज्जैन, भोपाल और आगर-मालवा हैं। कम वर्षा वाले जिले सिवनी, बालाघाट, अनूपपुर, हरदा, धार, छिंदवाड़ा, देवास, अलीराजपुर और बैतूल हैं।
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा- मानसून जाने से पहले हो सकती है अच्छी बारिश
चना
जेजी 11, जेजी 16, जेजी 63, जेजी 14अ है। यह किस्म दो बार के पानी में तैयार हो जाती है। 90 दिन में फसल पक जाती है। खेत में पानी कम है तो जेजी 11 किस्म की बोवनी कर सकते है। यदि खरीफ में धान की बोवनी की है तो जेजी 11 में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन किस्म के बीजों में 20 से 25 क्वि.उत्पादन होता है। जेजी 130 और विशाल किस्म का बीज 110-115 दिन में पक जाता है।
सरसों : जवाहर सरसों 2, जवाहर सरसों 3, राज विजय सरसों 2, कोरल 432, सीएस 56, एनआरसीएचबी 101, किस्म का बीज एक-दो सिंचाई में पक जाती है। फसल 90-100 दिन की है। उत्पादन 14 से 22 क्विं. प्रति हेक्टेयर है।
मध्यप्रदेश में औसत से 7 फीसदी कम बारिश से सोयाबीन को काफी नुकसान, किसानों की स्थिति गड़बड़ाई
6 दिन बाकी (30 सितंबर तक रहता है मानसून)
‘चना ♠कुदरत गोल्ड’ देगा उकटा रोग को मात, कम पानी में भी भरपूर उत्पादन
खंडवा | इस साल मध्यप्रदेश में कम बारिश हुई है। इस कारण सोयाबीन-कपास में वायरस अटैक आ गया है। इससे किसानों को नुकसान हो सकता है। इसकी भरपाई के लिए किसान चना कुदरत गोल्ड किस्म की चना बोकर कर सकता है। यह किस्म कृषि शोध संस्थान वाराणसी के किसान प्रकाशसिंह रघुवंशी ने ईजाद की है। यह किस्म उप्र, बिहार, महाराष्ट्र, मप्र, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, बंगाल, छत्तीसगढ़, पंजाब आदि राज्यों के लिए किस्म तैयार की है। चने की इस प्रजाति का दाना सुनहरा रंग का होता है। एक फली में दो दाने बड़े आकार के बनते हैं। पौधे में अधिक शाखाएं बन कर फैलती है। जिन पर अधिक मात्रा में फूल व फल आते हैं। अच्छी पैदावार मिलती है। यह प्रजाति फली छेदक व उकटा रोग अवरोधी है। प्रति एकड़ 20 किलोग्राम बीज लगता है। यह 100 से 110 दिन में पक जाएगी। उत्पादन प्रति एकड़ 13 क्विंटल होगा। बीज के लिए 098392-53974 पर संपर्क कर सकते हैं।