श्योपुर Nov 09, 2018
समर्थन मूल्य पर सोयाबीन और मक्का की फसलों की खरीदी होनी थी, जिसे लेकर अब तक कोई तैयारी नहीं की जा सकी है। इसे लेकर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने पंजीयन कराए थे, जिसमें 15 हजार किसानों ने सोयाबीन सहित अन्य फसलें समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन कराए थे। लेकिन अब तक खरीदी ही शुरु नहीं हो सकी है।
समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की दर प्रति क्विंटल करीब 3400 रुपए तय की गई थी, जबकि मंडी में सोयाबीन का भाव 3 हजार रुपए तक चल रहा है। ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल की दर पर 500 रुपए तक घाटा हो रहा है। जबकि कई किसानों की फसलें 2500 रुपए तक भी में ली जा रही है। खरीदी को लेकर प्रशासन ने अब तक कोई तैयारी नहीं की है, महज 10 केन्द्र निर्धारित किए है और अब तक खरीदी के लिए रकबे का भी सत्यापन नहीं हो सका है। जिसके चलते लगातार समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीदी में देरी हो रही है। खरीदी को लेकर किसान भी परेशान बने हुए है। रकबे का सत्यापन अब तक भी आधा नहीं हो सका है। पंजीयन के मुताबिक विभाग को रकबा सत्यापित करना है, ताकि खरीदी का लक्ष्य निर्धारित हो सके।
किसानों को मंडी में सस्ते दामों पर देनी पड़ रही फसल
समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरु न होने के चलते किसानों को अपनी सोयाबीन की फसल सस्ते दामों पर मंडी में बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें प्रति क्विंटल पर 500 रुपए से लेकर 1 हजार रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसे लेकर पहले पंजीयन कराए गए, जिसमें सोसायटियों पर यह पंजीयन हुए। लेकिन अब खरीदी शुरु न होने से किसान परेशान बने हुए है। सबसे बड़ी मुसीबत उन किसानों की हुई है, जो कि कम रकबे में खेती करते है और फसल को तत्काल बेचते है ताकि, वह अपना परिवार का पालन-पोषण कर सके।