श्योपुर Oct 20, 2018
बारिश में बर्बाद हुई फसलों का किसानों का मुआवजा सर्वे न होने के फेर में अटका गया है, जिसे लेकर प्रशासन ने तत्काल कोई आदेश नहीं किए थे, क्योंकि कृषि विभाग ने अपनी रिपोर्ट में महज 500 हैक्टेयर में ही नुकसान बताया था। जबकि जिन स्थानों पर सर्वे हुआ, उनकी रिपोर्ट ही शासन तक नहीं पहुंच पाई।
7 सितंबर को भारी बारिश के चलते कराहल, चंद्रपुरा, पांडोला सहित बड़ौदा क्षेत्रों में खेतों में पानी भर गया था, जिसमें तिल्ली की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी, जबकि सोयाबीन में भी भारी नुकसान हुआ था। चंद्रपुरा में हजारों हैक्टेयर खेत ही पानी में डूब गए थे। जिसे लेकर किसानों ने तत्काल प्रशासन से मुआवजा व बीमा दिलाने के लिए सर्वे कराने की मांग की थी। लेकिन सर्वे के आदेश ही नहीं हो सके थे।
कृषि विभाग ने जब रिपोर्ट सौंपी तो उसमें महज 500 हैक्टेयर में ही नुकसान बताया। जबकि करीब 20 हजार हैक्टेयर फसलें बर्बाद हुई थी। जिसमें 90 फीसदी तक नुकसान हुआ था।
बारिश से इस तरह उजड़ गए थे खेत।
आचार संहिता के फेर में अटका मुआवजा
6 अक्टूबर आचार संहिता लागू हो गई, ऐसे में मुआवजा के लिए प्रशासन न तो सर्वे करा सका और नहीं फिर इसे लेकर कोई आदेश जारी कर सका। ऐसे में किसानों का बारिश में हुए नुकसान का फसल नुकसान की भरपाई नहीं हो सकी। सर्वे न होने से बीमा क्लेम की राशि भी अटक गई, जिसे अब अगले साल ही जारी किया जा सके। क्योंकि आचार संहिता लगने के बाद ही संबंधित मंत्रालय से इसके लिए फंड मांगा जाएगा, जिसे की किसानों में बांटा जा सके।
कच्चे घर ढहने पर भी नहीं मिला मुआवजा
चंद्रपुरा, पांडोला सहित अन्य गांवों में बारिश के दौरान 50 से ज्यादा कच्चे घर ढह गए थे, जबकि चंद्रपुरा की बस्ती पूरी तरह से तालाब में तब्दील हो गई थी। इसमें भी प्रशासन आवेदन मिलने के बाद भी रिपोर्ट नहीं बना सका था। जिससे उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो सकी थी। अब प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि यह काम आचार संहिता हटने के बाद ही शुरु हो सकेगा।