श्योपुर Oct 23, 2018
तापमान अधिक होने से खेतों की नमी गायब हो गई है। ऐसे में किसान अपने खेतों में सरसों की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन अब किसानों को नहरों से पानी मिलने लगा है। ऐसे में किसान खेतों को तैयार कर सरसों की बुआई करने में लग गए हैं।
उल्लेखनीय है कि अंचल में पिछले एक महीने से तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। इस वजह से खेतों की नमी उड़ गई है। ऐसे में सरसों की बुआई के बाद पौधों के उपजने में दिक्कत हो रही थी। चूंकि सरसों के बुआई व पोधों को पनपने के लिए 28 से 30 डिग्री के बीच का तापमान चाहिए होता है, लेकिन वह नहीं मिल पा रहा था। नमी न होने से किसान खेतों में काम नहीं कर पा रहे थे। इसे देखते हुए सिंचाई विभाग ने चंबल दाहिनी मुख्य नहर से डिस्ट्रीब्यूटरों में पानी छुड़वाया है। इससे किसान न केवल सरसों के लिए खेतों को तैयार कर सकेंगे, बल्कि गेहूं की बुआई के लिए भी खेतों को तैयार कर सकेंगे।
सरसों की बुआई हुई है महज 60 फीसदी
तापमान अधिक होने की वजह से अंचल में सरसों की बुआई महज 50 फीसदी के करीब हो पाई है। जबकि अभी गेहूं की बुआई का समय आने वाला है। इसलिए किसान अब गेहूं के लिए भी खेतों की तैयारी करने में लगे हुए है। हालांकि तापमान के अधिक रहने से उस रकबे में सरसों की बुआई नहीं हो पाएगी। जितने का लक्ष्य कृषि विभाग ने बनाया था।
सरसों की बुआई के लिए बचे हैं महज 8 दिन : सरसों की बुआई 15 सितंबर से शुरू होती है और 30 अक्टूबर तक चलती है। इस लिहाज से अब केवल 8 दिन ही सरसों की बुआई के लिए बचे हैं। यानी किसान इन दिनों में बुआई कर लेंगे तो ठीक है। नहीं तो बाद में बोई गई सरसों में उत्पादन कम मिलेगा और किसानों को वह लाभ नहीं मिलेगा जो मिलना चाहिए।