श्योपुर | Sep 19, 2018
चना के भुगतान के लिए आए पैसे को मार्कफेड ने किसानों में बांटने के बजाय हम्मालों को बांट दिया। अब उन किसानों को 60 लाख रुपए का भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिन्होंने समर्थन मूल्य पर चना बेचा था। अब प्रशासन लगातार सरकार से पत्राचार कर राशि देने की मांग कर रहा है, जिस पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। अब कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन का कहना है कि वह किसानों के भुगतान के लिए किसी दूसरे मद से राशि जारी करवाएंगे, जिससे की उनका भुगतान हो सके।
मार्च-अप्रैल में सरकार ने चना-सरसों की खरीदी की थी, जिसमें 14 हजार किसानों ने चना व करीब 5 हजार किसानों ने सरसों समर्थन मूल्य पर मार्कफेड को बेची। चना-सरसों बेचने के 4.5 माह बाद भी भुगतान नहीं हुआ। 14 हजार किसानों में से करीब 10 हजार किसानों को ही भुगतान किया गया है, जिसमें 2 करोड़ रुपए बांटे गए हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार ने इन्हें भुगतान की राशि जारी नहीं की है। जून में ही किसानों की 60 लाख रुपए की अंतिम भुगतान राशि भी जारी कर दी, लेकिन मार्कफेड व प्रशासन ने इस राशि को किसानों को बांटने के बजाय मजदूरी यानी समर्थन मूल्य खरीदी में तुलाई व ठेका काम लेने वाले लोगों को दे दी। इस कारण किसानों का भुगतान अटक गया।
मार्च-अप्रैल में समर्थन मूल्य पर की थी किसानों से 2.5 लाख क्विंटल चना की खरीदी
इधर…पहले खरीदा चना, अब वापस लौटा रहे
सरकार ने निर्देश दिए थे कि प्रति हेक्टयर पर 120 क्विंटल चना खरीदा जाएगा। लेकिन श्योपुर के सेंटरों पर चना की 120 क्विंटल से ज्यादा की खरीदी कर ली गई। करीब 50 किसानों ने एक हेक्टयर पर 160 क्विंटल चना बेच दिया। इन किसानों से प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल अधिक खरीदे गए चना को वापस करने की तैयारी की जा रही है। क्योंकि सरकार इसका भुगतान ही नहीं करेगी। इस तरह से 2 हजार क्विंटल चना को वापस करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि किसान इसमें तैयार नहीं हैं, इसके लिए खाद्य व मार्कफेड ने भी किसानों को सूचना दे दी गई है। जिससे वह अपना चना वापस ले जाएं।
लापरवाही: रखने के लिए नहीं थी जगह, बारिश में भीगा एक हजार क्विंटल चना सड़ा
15 मार्च से सरकार ने चना-सरसों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की, जिसमें चना 4500 क्विंटल व सरसों 4200 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी की। जिसकी खरीदी 10 अप्रैल तक की गई। सरसों सरकार ने श्योपुर में 15 हजार क्विंटल खरीदी और चना 2.5 लाख क्विंटल चना खरीदा गया। शेष चना तो गोदामों में रखवा दिया गया लेकिन ढाई हजार क्विंटल चना रखने के लिए जगह नहीं मिला। इससे वह बारिश में भीग गया। इसमें से एक हजार क्विंटल चना फिंकवा दिया गया।
एक माह में होगा किसानों को भुगतान
मार्कफेड के जीएम अमित गुप्ता ने बताया कि सेंटरों पर खरीदी के दौरान तुलाई व हम्माली करने वाली लेबर को भी रुपया बांटना जरुरी था, क्योंकि अगर यह नहीं करते तो लेबर उठाव नहीं करती। ऐसे में उन्हें रुपया बांटना पड़ा। लेबर का रुपया भी जल्द ही आएगा। संभवत एक महीने के भीतर यह रुपया वापस आ जाएगा। क्योंकि प्रदेश स्तर से स्वीकृति मिल चुकी है।
अब भी ऑनलाइन दर्ज नहीं हुआ चना
चना खरीदी के समय में भी गोदामों में जगह न मिल पाने की समस्या आई थी, जिससे निपटने के लिए प्रशासन ने शिवपुरी प्रशासन से मदद ली। लेकिन यहां सिर्फ 25 फीसदी स्टॉक की ही अनुमति मिली, क्योंकि वहां भी चना-सरसों का स्टॉक अधिक था। इसके बाद प्रशासन ने निजी गोदामों में चना-सरसों रखवाया। लेकिन फिर हजारों क्विंटल चना-सरसों को जगह नहीं मिल पाई। ऐसे में करीब 10-12 हजार क्विंटल के करीब चना की ऑनलाइन एंट्री नहीं हो पाया।