Oct 29, 2018
रायगढ़
तमनार में जंगली सुअर के फसल बर्बाद करने के बाद किसान मुआवजे के लिए चक्कर काट रहा है। एक साल पहले उसके खेत के फसल को जंगली सुअरों ने बर्बाद किया था। एक साल से किसान मुआवजे के लिए वनविभाग के दफ्तर में चक्कर काट रहा है। मगर अभी तक उसे मुआवजा नहीं मिल रहा है। किसान ने जिला प्रशासन के पास भी अपनी शिकायत की है। मगर अभी तक मामले में जांच तक शुरू नहीं हुई है।
जानकारी के अनुसार कृष्णा कुमार साव की तमनार के टिपटिपा खार में 8 एकड़ जमीन है। एक साल पहले 6 एकड़ में धान की फसल को जंगली सुअरों ने बर्बाद कर दिया था। इसकी शिकायत किसान ने कई बार वनपरिक्षेत्र के अधिकारियों से की। मगर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इस बात की शिकायत कलेक्टर जनदर्शन में भी की गई। मगर अभी तक मामले में कोई जांच शुरू नहीं हुई है। मामले में तमनार रेंजर के कमल सिदार जांच कर रहे है। इनसे पीड़ित ने जब भी अपनी समस्या बताई। हर बार मुआवजा तुरंत मिल जाने की बात कही है। मगर अभी तक मामले में कोई भी प्रोग्रेस नहीं हुआ है। वन विभाग वन्यजीवों को जंगल में रोक पाने में नाकाम है। मुआवजा सही समय पर नहीं मिलने को लेकर हर दिन आंदोलन किए जा रहे है। जंगली के अलावा हाथियों के कारण धरमजयगढ़ क्षेत्र के सभी किसान फसल की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इनसे भी कई किसानों को मुआवजा नहीं मिला है।
धरमजयगढ़ में हो चुका चक्काजाम-मुआवजा सही समय पर नहीं मिलने को लेकर ही कुछ दिनों पहले धरमजयगढ़ में किसानों ने हाइवे जाम किया था। इसके अलावा रायगढ़ वनमंडल में कई जगह अभी किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। अधिकारी कुछ दिनों पहले चले बाबुओं की हड़ताल को मुआवजा रुकने का कारण बता रहे है। मगर साल भर पहले कोई हड़ताल पर नहीं था। बावजूद मुआवजा रोका गया।
दूसरे किसानों के भी सालों के मामले पेडिंग
जिले में कई किसान ऐसे भी है। जिनके खेतों में हुए नुकसान का आंकलन भी नहीं हुआ है। खासकर के जिस क्षेत्र में बालुई मिट्टी है, वहां के किसानों को ज्यादा दिक्कत होती है। हाथी के एक बार खेत से निकलने के बाद फसल को दोबारा उठाकर खड़ा भी नहीं किया जा सकता। क्योंकि मिट्टी में फसल दबकर बर्बाद हो जाती है। जबकि वनविभाग यही तर्क देता है कि फसल बर्बाद नहीं होती। किसान अपनी दबी फसलों को फिर से खड़ा कर लेते है।